राजस्थान सरकार ने विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू जातियों के 34,000 परिवारों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाया है। इन परिवारों को 2 अक्टूबर 2024 को 300 वर्गमीटर तक के फ्री प्लॉट दिए जाएंगे, जिससे वे अपना स्थायी निवास बना सकें। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस योजना के तहत इन परिवारों को पट्टे सौंपेंगे।
राज्य की इन जातियों को लंबे समय से पहचान और स्थायी निवास के अभाव में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता था। अधिकांश के पास न तो पहचान पत्र है, न ही स्थायी पता। इस योजना के अंतर्गत, सरकार चाहती है कि ये परिवार अपनी जमीन पर घर बनाकर स्थायी जीवन यापन कर सकें। इन जातियों की संख्या राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 6-8% है और उनके पास रहने की सुविधा नहीं है।
योजना का उद्देश्य और लाभ
सरकार की यह पहल इन जातियों की पुरानी उपेक्षाओं को समाप्त करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने की दिशा में उठाया गया कदम है। इसमें यह भी ध्यान रखा गया है कि 21 साल से छोटे अविवाहित बच्चों वाले परिवार एक ही परिवार माने जाएंगे और 21 साल से बड़े व शादीशुदा लोग अलग परिवार के रूप में गिने जाएंगे। सरकार ने जाति प्रमाण पत्र के लिए भी एक नया तरीका निकाला है, जिसमें अब जाति पहचान प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे।
टोंक जिले के आंकड़े
टोंक जिले में कुल 2106 परिवारों में से 205 को पहले ही पट्टे दिए जा चुके हैं, जबकि 1650 परिवारों को अभी पट्टा मिलना बाकी है। कई लोग अभी भी आवेदन प्रक्रिया में हैं, और सरकार ने नियमों में भी ढील दी है ताकि अधिकतम लोगों को इसका लाभ मिल सके।
योजना का मुख्य उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य इन घुमंतू जातियों को एक स्थायी आश्रय प्रदान करना है ताकि वे अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकें और एक स्थिर जीवन जी सकें।
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